" जब कोई अजनबी आंखों में बस जाए तो जीना भी एक सफर बन जाता हैं,
वो निडर होकर बैठे रहे नजरों से नजरे मिलाकर चेहरे से नूर झलकता रहा,
एक पल सोचा भूल जा उस अजनबी को
पर उनका चेहरा नजरों में बस गया है,,
आंखें बंद करता हूं तो सामने और सपनों
में वो ही आंखों में नजर आता है!!
डीयर आर एस आज़ाद...
©Ramkishor Azad
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