........................ग़ज़ल...........…........
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मोनिस ए हिजरां मेरा कोई नहीं
बे वफ़ा और बा वफा कोई नहीं //१
दर्द सहता हूं अभी भी इश्क़ का
बाद इसके भी गिला कोई नहीं //२
शीश ए दिल पारा पारा कर दिया
फिर भी उसने की जफ़ा कोई नहीं //३
मुद्दतों के बाद आया उसका ख़त
और लिखा मेरी ख़ता कोई नहीं //४
अव्वलीन ओ आखरी है बस वही
मेरे दिल में दूसरा कोई नहीं //५
ख़त्म शुद अरशद ने बस इतना कहा
चांद हो और चांद सा कोई नहीं //६
अरशद अंसारी ©®
Monis hijrañ
#poetryunpluged