एक धोख़ा इस तरह तुम, तुम्हारा दिल कभी था मेरा। | हिंदी शायरी

"एक धोख़ा इस तरह तुम, तुम्हारा दिल कभी था मेरा। जबसे नोटों कि हवा लगा, अब तुम या तुम्हारा दिल कहाँ रहा मेरा।। लेखक : विजय सर जी ©शायर विजय सर जी"

 एक धोख़ा इस तरह 

तुम, तुम्हारा दिल कभी था मेरा। 
जबसे नोटों कि हवा लगा, 
अब तुम या तुम्हारा दिल 
कहाँ रहा मेरा।। 
लेखक : विजय सर जी

©शायर विजय सर जी

एक धोख़ा इस तरह तुम, तुम्हारा दिल कभी था मेरा। जबसे नोटों कि हवा लगा, अब तुम या तुम्हारा दिल कहाँ रहा मेरा।। लेखक : विजय सर जी ©शायर विजय सर जी

#alone शायरी लव रोमांटिक 'दर्द भरी शायरी'

People who shared love close

More like this

Trending Topic