अनुचित उचित काज कछु होई, समुझि करिय भल कह सब कोई।

"अनुचित उचित काज कछु होई, समुझि करिय भल कह सब कोई। सहसा करि पाछे पछिताहीं, कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।   अर्थ: किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं,  उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता। ©SATYA PRAKASH"

 अनुचित उचित काज कछु होई,
समुझि करिय भल कह सब कोई।
सहसा करि पाछे पछिताहीं,
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।  


अर्थ: किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं,  उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता।

©SATYA PRAKASH

अनुचित उचित काज कछु होई, समुझि करिय भल कह सब कोई। सहसा करि पाछे पछिताहीं, कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।   अर्थ: किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं,  उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता। ©SATYA PRAKASH

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