"शहर फिर से कांटे बिखर गए मेरी डगर में आज,
धूल फिर झोंक दी गयी मेरी नज़र में आज ।
तेरे शहर का रास्ता दिखा रहा है मुझे,
ये कैसा मोड़ आगया मेरे सफ़र में आज ।"
शहर फिर से कांटे बिखर गए मेरी डगर में आज,
धूल फिर झोंक दी गयी मेरी नज़र में आज ।
तेरे शहर का रास्ता दिखा रहा है मुझे,
ये कैसा मोड़ आगया मेरे सफ़र में आज ।