टूटा जो घर मेरा अभी परिंदे वहीं खड़े थे बक्शीश मे | हिंदी Poetry

"टूटा जो घर मेरा अभी परिंदे वहीं खड़े थे बक्शीश मे जो मिले हम भोर कलंकित हो चुका था ©chandni"

 टूटा जो घर मेरा
अभी परिंदे वहीं खड़े थे
बक्शीश मे जो मिले हम
भोर कलंकित हो चुका था

©chandni

टूटा जो घर मेरा अभी परिंदे वहीं खड़े थे बक्शीश मे जो मिले हम भोर कलंकित हो चुका था ©chandni

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