बेरा ना बदलते दौर मै।
किसा जमाना आजा।
शेर पड़े पिंजरे भीतर।
कुत्ते बन जा राजा।
रोड़ प किताब बिके।
शीशे भीतर बूट बीके।
नार या निकर पहरण लागी।
थोड़े साड़ी सूट बिके।
अंग्रेजी पहनावा यो।
म्हारी संस्कृति न खा गया।
बेरा ना बदलते दौर मै।
किसा जमाना आजा।
ताहिर।।।
©TAHIR CHAUHAN
#बदलता#दौर