काँटा
करे सुरक्षा किसी की
घाव किसी को देता
दूर भागती दुनिया इससे
कोई नहीं सुधि लेता
इसके आँगन में भी फिर भी
फूल खुशी के खिलते
आती है बहार चुपके से
जब उनके लब हिलते
काँटा है पर हाथ मदद के
अपने सदा बढ़ाता
इसके बिना न निकले कोई
चुभा पाँव में काँटा
दुश्मन के राहों में इसको
जब कोई रखता है
बेखुद पास न आने देता
प्रहरी बन जगता है
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#काँटा@कविता