White आराम से बिखर बिखर गयी श्रम से जिन्दगी गुजरती | हिंदी कविता

"White आराम से बिखर बिखर गयी श्रम से जिन्दगी गुजरती गयी।। किसी को नही खबर मेरी सबसे दूरी बढती गयी।। उदासियॉ रहती है पास मेरे। खुशियॉ ना जाने कैसे बिछुङ गयी।। उम्मीद ना रही कही दूर तक जिन्दगी बेफाई करती गयी।। बफाई जिन्दगी से मै करता रहा फिर भी बफा रूठती गयी।। स्वरचित ©रघुराम"

 White आराम से बिखर बिखर गयी
श्रम से जिन्दगी गुजरती गयी।।
किसी को नही खबर मेरी
 सबसे दूरी बढती गयी।।
उदासियॉ रहती है पास मेरे।
खुशियॉ ना जाने कैसे बिछुङ गयी।।
उम्मीद ना रही कही दूर तक
जिन्दगी बेफाई करती गयी।।
बफाई जिन्दगी से मै करता रहा
फिर भी बफा रूठती गयी।।
स्वरचित

©रघुराम

White आराम से बिखर बिखर गयी श्रम से जिन्दगी गुजरती गयी।। किसी को नही खबर मेरी सबसे दूरी बढती गयी।। उदासियॉ रहती है पास मेरे। खुशियॉ ना जाने कैसे बिछुङ गयी।। उम्मीद ना रही कही दूर तक जिन्दगी बेफाई करती गयी।। बफाई जिन्दगी से मै करता रहा फिर भी बफा रूठती गयी।। स्वरचित ©रघुराम

#love_shayari बफा,बेबफा

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