एक एक दिन जो मैं तन्हा गुजारता हूँ, मेरी जान मैं ह | हिंदी कविता

"एक एक दिन जो मैं तन्हा गुजारता हूँ, मेरी जान मैं हर साँस में तुझको पुकारता हूँ।। देख तुझे रक़ीब के साथ कैसे बताऊं मैं, ख़ुद को संभालता हूँ।। खताएँ तेरी कुछ भी नहीं, मैं सरफिरा हूं जो कमियाँ तुझमें निकलता हूँ।। जा चुकी है ज़िंदगी से तू मेरी, मैं क्यों आज भी तेरी तस्वीरें निहारता हूँ।। ©Vaibhabi singh"

 एक एक दिन जो मैं तन्हा गुजारता हूँ,
मेरी जान मैं हर साँस में तुझको पुकारता हूँ।।
देख तुझे  रक़ीब के साथ कैसे बताऊं मैं,
ख़ुद को संभालता हूँ।।
खताएँ तेरी कुछ भी नहीं,
मैं सरफिरा हूं जो कमियाँ तुझमें निकलता हूँ।।
जा चुकी है ज़िंदगी से तू मेरी,
मैं क्यों आज भी तेरी तस्वीरें निहारता हूँ।।

©Vaibhabi singh

एक एक दिन जो मैं तन्हा गुजारता हूँ, मेरी जान मैं हर साँस में तुझको पुकारता हूँ।। देख तुझे रक़ीब के साथ कैसे बताऊं मैं, ख़ुद को संभालता हूँ।। खताएँ तेरी कुछ भी नहीं, मैं सरफिरा हूं जो कमियाँ तुझमें निकलता हूँ।। जा चुकी है ज़िंदगी से तू मेरी, मैं क्यों आज भी तेरी तस्वीरें निहारता हूँ।। ©Vaibhabi singh

एक एक दिन ❤️❤️

#LostInSky

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