आज का ज्ञान व्यर्थ बोलने की अपेक्षा मौन रहना
यह वाणी की प्रथम विशेषता है,
सत्य बोलना यह वाणी की दूसरी विशेषता है, प्रिय बोलना यह वाणी की तीसरी विशेषता है और
धर्मगत बोलना यह वाणी की चौथी विशेषता है , यह चारो ही क्रमशः एक दुसरे से श्रेष्ठ है......
©Yajash Solanki
#aajkagyaan