मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ। जब आता है तुम्हारा ना | हिंदी Poetry

"मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ। जब आता है तुम्हारा नाम, स्मरण होती तुम्हारी बातें, बातों में तेरा चेहरा, और चेहरे पर मुस्कान... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।।... जब करता हूँ कोई सफ़र सूना लगता है सारा शहर शहर में तेरी यादें और यादों में तेरा बसर... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ.. जब उठाता हूँ कलम रचता हूँ कोई कविता कविता में अल्फ़ाज़, अल्फाजों में तेरा ही ज़िक्र... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।... जब गहराने लगती है रात आने लगती है नींद नींद में आते हैं ख़्वाब और ख्वाबों में फिर तेरा अक्स तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ। जब लौट आता हूँ घर काटती है दीवारें, नोचती है तन्हाई, उठती है मन में एक टीस हर टीस में तुम्हारा नाम.. तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ... सुनील पंवार की कलम से.... ©Sunil Panwar"

 मैं अक्सर  चुप हो जाता हूँ।

जब आता है तुम्हारा नाम,
स्मरण होती  तुम्हारी बातें,
बातों में तेरा चेहरा,
और चेहरे पर मुस्कान...
तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।।...

जब करता हूँ कोई सफ़र
सूना लगता है सारा शहर
शहर में तेरी यादें और
यादों में तेरा बसर...
तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ..


जब उठाता हूँ कलम
रचता हूँ कोई कविता
कविता में अल्फ़ाज़,
अल्फाजों में तेरा ही ज़िक्र...

तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।...

जब गहराने लगती है रात
आने लगती है नींद
नींद में आते हैं ख़्वाब
और ख्वाबों में फिर तेरा अक्स
तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।

जब लौट आता हूँ घर
काटती है दीवारें,
नोचती है तन्हाई,
उठती है मन में एक टीस
हर टीस में तुम्हारा नाम..

तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ...
तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ...


सुनील पंवार की कलम से....

©Sunil Panwar

मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ। जब आता है तुम्हारा नाम, स्मरण होती तुम्हारी बातें, बातों में तेरा चेहरा, और चेहरे पर मुस्कान... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।।... जब करता हूँ कोई सफ़र सूना लगता है सारा शहर शहर में तेरी यादें और यादों में तेरा बसर... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ.. जब उठाता हूँ कलम रचता हूँ कोई कविता कविता में अल्फ़ाज़, अल्फाजों में तेरा ही ज़िक्र... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ।... जब गहराने लगती है रात आने लगती है नींद नींद में आते हैं ख़्वाब और ख्वाबों में फिर तेरा अक्स तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ। जब लौट आता हूँ घर काटती है दीवारें, नोचती है तन्हाई, उठती है मन में एक टीस हर टीस में तुम्हारा नाम.. तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ... तो मैं अक्सर चुप हो जाता हूँ... सुनील पंवार की कलम से.... ©Sunil Panwar

#Luminance

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