#प्रदूषण_की_रानी-#देश_की_राजधानी वैसे आप जानते ही

"#प्रदूषण_की_रानी-#देश_की_राजधानी वैसे आप जानते ही होंगे किसी देश की पहचान उसकी राजधानी और उसके बड़े शहरों से होती है। मगर हमारे देश की राजधानी दिल्ली का हाल तो इन दिनों किसी गैस प्लांट से भी ज्यादा खतरनाक हो रहा है। दिल्ली एनसीआर का हाल इस दिवाली के बेहद नाजुक है। दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि कई संस्थाओं ने यह तक दावा कर दिया है दिल्ली एनसीआर में रहना यानी अपनी उम्र 10 साल कम कर देना है। वैसे यह पढ़कर आप हैरान जरूर हो रहे होंगे, मगर यह हकीकत है हमारे देश की राजधानी दिल्ली की। आज दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है, जबकि कभी इसी दिल्ली को जीतने के लिए मुगल, अंग्रेजों ने कितने ही हिंदुस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। क्या आज दिल्ली की कीमत खत्म हो चुकी है? क्या दिल्ली अब देश का दिल नहीं रहा ? दिल्ली के इस हाल के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? नेता, अभिनेता, पत्रकार, राजनेता या फिर आम जनता। जिम्मेदार कोई भी हो मगर, दिल्ली के प्रदूषण से हिंदुस्तान की सुंदरता में दाग लग रहा है। अगर आज भी हम वक्त रहते दिल्ली एनसीआर या देश के बड़े शहरों के बढ़ते प्रदूषण पर ध्यान नहीं दें, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश प्रदूषण का दाता कहलाएगा। हम गुमान करते हैं हिंदुस्तानी होने पर, मगर इस गुमानी को बरकरार रखने के लिए हमें आज शपथ लेनी होगी और उस हिंदुस्तान को याद करना होगा, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानिया दी हैं। हमें शपथ लेनी है देश को प्रदूषण से मुक्त बनाना है। शुरुआत अपने घर से, अपने शहर से, अपने जिले से, अपने राज्य से, अपने आपसे। हमें सोचना होगा हमारी एक गलती से कहीं हमारे आने वाली पीढ़ी को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा या हमारी एक गलती से कहीं इस प्रकृति को भारी नुकसान तो नहीं हो रहा। सोच क्या रहे हैं ? आज ही और अभी से ठान लीजिए हमें प्रदूषण को रोकना है और लोगों को जागरूक करना है। शादी, ब्याह, त्यौहारों और अन्य उत्सव में ऐसे कार्य नहीं कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो और इस प्रकृति को क्षति पहुंची रही हो। उन लोगों से भी निवेदन है जो गांव देहातों में भी रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े पेड़ गिरा देते हैं। अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और एक अच्छा जीवन देना है, तो उसके लिए हमें पर्यावरण और प्रकृति को बचाना होगा। तभी हमारी आने वाली पीढ़ी एक स्वस्थ जीवन जीने में कामयाब होगी। आइए एक कदम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए चलते हैं। हर महीने में एक वृक्ष लगाकर पर्यावरण- प्रकृति को बचाते हैं। दीपक कोहली "पागल""

 #प्रदूषण_की_रानी-#देश_की_राजधानी

वैसे आप जानते ही होंगे किसी देश की पहचान उसकी राजधानी और उसके बड़े शहरों से होती है। मगर हमारे देश की राजधानी दिल्ली का हाल तो इन दिनों किसी गैस प्लांट से भी ज्यादा खतरनाक हो रहा है। दिल्ली एनसीआर का हाल इस दिवाली के बेहद नाजुक है। दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि कई संस्थाओं ने यह तक दावा कर दिया है दिल्ली एनसीआर में रहना यानी अपनी उम्र 10 साल कम कर देना है। वैसे यह पढ़कर आप हैरान जरूर हो रहे होंगे, मगर यह हकीकत है हमारे देश की राजधानी दिल्ली की। 

आज दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है, जबकि कभी इसी दिल्ली को जीतने के लिए मुगल, अंग्रेजों ने कितने ही हिंदुस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। क्या आज दिल्ली की कीमत खत्म हो चुकी है? क्या दिल्ली अब देश का दिल नहीं रहा ? दिल्ली के इस हाल के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? नेता, अभिनेता, पत्रकार, राजनेता या फिर आम जनता। जिम्मेदार कोई भी हो मगर, दिल्ली के प्रदूषण से हिंदुस्तान की सुंदरता में दाग लग रहा है। अगर आज भी हम वक्त रहते दिल्ली एनसीआर या देश के बड़े शहरों के बढ़ते प्रदूषण पर ध्यान नहीं दें, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश प्रदूषण का दाता कहलाएगा।

हम गुमान करते हैं हिंदुस्तानी होने पर, मगर इस गुमानी को बरकरार रखने के लिए हमें आज शपथ लेनी होगी और उस हिंदुस्तान को याद करना होगा, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानिया दी हैं। हमें शपथ लेनी है देश को प्रदूषण से मुक्त बनाना है। शुरुआत अपने घर से, अपने शहर से, अपने जिले से, अपने राज्य से, अपने आपसे। हमें सोचना होगा हमारी एक गलती से कहीं हमारे आने वाली पीढ़ी को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा या हमारी एक गलती से कहीं इस प्रकृति को भारी नुकसान तो नहीं हो रहा। सोच क्या रहे हैं ? आज ही और अभी से ठान लीजिए हमें प्रदूषण को रोकना है और लोगों को जागरूक करना है। 

शादी, ब्याह, त्यौहारों और अन्य उत्सव में ऐसे कार्य नहीं कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो और इस प्रकृति को क्षति पहुंची रही हो। उन लोगों से भी निवेदन है जो गांव देहातों में भी रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े पेड़ गिरा देते हैं। 

अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और एक अच्छा जीवन देना है, तो उसके लिए हमें पर्यावरण और प्रकृति को बचाना होगा। तभी हमारी आने वाली पीढ़ी एक स्वस्थ जीवन जीने में कामयाब होगी। 

आइए एक कदम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए चलते हैं। हर महीने में एक वृक्ष लगाकर पर्यावरण- प्रकृति को बचाते हैं। 

दीपक कोहली "पागल"

#प्रदूषण_की_रानी-#देश_की_राजधानी वैसे आप जानते ही होंगे किसी देश की पहचान उसकी राजधानी और उसके बड़े शहरों से होती है। मगर हमारे देश की राजधानी दिल्ली का हाल तो इन दिनों किसी गैस प्लांट से भी ज्यादा खतरनाक हो रहा है। दिल्ली एनसीआर का हाल इस दिवाली के बेहद नाजुक है। दिल्ली एनसीआर का प्रदूषण इतना बढ़ चुका है, कि कई संस्थाओं ने यह तक दावा कर दिया है दिल्ली एनसीआर में रहना यानी अपनी उम्र 10 साल कम कर देना है। वैसे यह पढ़कर आप हैरान जरूर हो रहे होंगे, मगर यह हकीकत है हमारे देश की राजधानी दिल्ली की। आज दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहरों में गिना जाता है, जबकि कभी इसी दिल्ली को जीतने के लिए मुगल, अंग्रेजों ने कितने ही हिंदुस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया। क्या आज दिल्ली की कीमत खत्म हो चुकी है? क्या दिल्ली अब देश का दिल नहीं रहा ? दिल्ली के इस हाल के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है ? नेता, अभिनेता, पत्रकार, राजनेता या फिर आम जनता। जिम्मेदार कोई भी हो मगर, दिल्ली के प्रदूषण से हिंदुस्तान की सुंदरता में दाग लग रहा है। अगर आज भी हम वक्त रहते दिल्ली एनसीआर या देश के बड़े शहरों के बढ़ते प्रदूषण पर ध्यान नहीं दें, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश प्रदूषण का दाता कहलाएगा। हम गुमान करते हैं हिंदुस्तानी होने पर, मगर इस गुमानी को बरकरार रखने के लिए हमें आज शपथ लेनी होगी और उस हिंदुस्तान को याद करना होगा, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी कुर्बानिया दी हैं। हमें शपथ लेनी है देश को प्रदूषण से मुक्त बनाना है। शुरुआत अपने घर से, अपने शहर से, अपने जिले से, अपने राज्य से, अपने आपसे। हमें सोचना होगा हमारी एक गलती से कहीं हमारे आने वाली पीढ़ी को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा या हमारी एक गलती से कहीं इस प्रकृति को भारी नुकसान तो नहीं हो रहा। सोच क्या रहे हैं ? आज ही और अभी से ठान लीजिए हमें प्रदूषण को रोकना है और लोगों को जागरूक करना है। शादी, ब्याह, त्यौहारों और अन्य उत्सव में ऐसे कार्य नहीं कर रहे हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो और इस प्रकृति को क्षति पहुंची रही हो। उन लोगों से भी निवेदन है जो गांव देहातों में भी रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर बड़े-बड़े पेड़ गिरा देते हैं। अगर हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और एक अच्छा जीवन देना है, तो उसके लिए हमें पर्यावरण और प्रकृति को बचाना होगा। तभी हमारी आने वाली पीढ़ी एक स्वस्थ जीवन जीने में कामयाब होगी। आइए एक कदम अपने आने वाली पीढ़ी के लिए चलते हैं। हर महीने में एक वृक्ष लगाकर पर्यावरण- प्रकृति को बचाते हैं। दीपक कोहली "पागल"

#प्रदूषण

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