©️ Vikas Yadav Svadeshi
किताबों की तरह हैं हम भी..
अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश..!
मैंने सिर्फ अल्फ़ाज लिखे हैं।
गजल तो उसका चेहरा है।
लिख नहीं पाता हूं तुम्हें....
कैसे चंद लकीरों में समेट दूं।
इंतजार तन्हा ही सही..!
तेरा खयाल तो साथ है!
मोहब्बत करना सीखनी है
तो मौत से सीखो ।
जो एकबार गले लगा ले तो
फिर किसी का होने नहीं देती ।।
तलब ऐसी कि बसा लूँ साँसों में उसे...!
और किस्मत ऐसी कि दीदार के भी मोहताज है हम..!
©Vikas Yadav
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