जब सोचूँ तुम्हें ही सोचूँ जब चाहूँ तुम्हें ही चाहू | हिंदी कविता

"जब सोचूँ तुम्हें ही सोचूँ जब चाहूँ तुम्हें ही चाहूँ हे देव! मानो तुम कोई और नहीं साक्षात् परमेश्वर हो मेरे लिए..! ©Shipra Pandey ''Jagriti'"

 जब सोचूँ तुम्हें ही सोचूँ
जब चाहूँ तुम्हें ही चाहूँ
हे देव! मानो तुम कोई और नहीं
साक्षात् परमेश्वर हो मेरे लिए..!

©Shipra Pandey ''Jagriti'

जब सोचूँ तुम्हें ही सोचूँ जब चाहूँ तुम्हें ही चाहूँ हे देव! मानो तुम कोई और नहीं साक्षात् परमेश्वर हो मेरे लिए..! ©Shipra Pandey ''Jagriti'

#Soch

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