सुनो, मेरे पहले प्यार समझ नहीं आऊँगा ऐसा कभी अपने | हिंदी शायरी

"सुनो, मेरे पहले प्यार समझ नहीं आऊँगा ऐसा कभी अपने हिसाब से आजमाया न कर पढ़ लेता हूँ खामोशी भी तेरी समझदार बनकर यूँ समझाया न कर वैसे ही मदहोश हूँ तेरी आँखों के ज़ाम पीकर जुल्फें खोलकर और तुम बहकाया न कर कत्ल कर चुकी है कातिल अदाएँ तेरी छुरी सी मुस्कान लिए करीब आया न कर हम तो यूँ ही मर जाएँगे इशारा तो कर गैर को देख ऐसे मुस्कुराया न कर शायर RK…✍️ . ©SHAYAR (RK)"

 सुनो, मेरे पहले प्यार समझ नहीं आऊँगा ऐसा कभी
अपने हिसाब से आजमाया न कर

पढ़ लेता हूँ खामोशी भी तेरी
समझदार बनकर यूँ समझाया न कर

वैसे ही मदहोश हूँ तेरी आँखों के ज़ाम पीकर
जुल्फें खोलकर और तुम बहकाया न कर

कत्ल कर चुकी है कातिल अदाएँ तेरी
छुरी सी मुस्कान लिए करीब आया न कर



हम तो यूँ ही मर जाएँगे इशारा तो कर
गैर को देख ऐसे मुस्कुराया न कर
शायर RK…✍️








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©SHAYAR (RK)

सुनो, मेरे पहले प्यार समझ नहीं आऊँगा ऐसा कभी अपने हिसाब से आजमाया न कर पढ़ लेता हूँ खामोशी भी तेरी समझदार बनकर यूँ समझाया न कर वैसे ही मदहोश हूँ तेरी आँखों के ज़ाम पीकर जुल्फें खोलकर और तुम बहकाया न कर कत्ल कर चुकी है कातिल अदाएँ तेरी छुरी सी मुस्कान लिए करीब आया न कर हम तो यूँ ही मर जाएँगे इशारा तो कर गैर को देख ऐसे मुस्कुराया न कर शायर RK…✍️ . ©SHAYAR (RK)

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