सुनो, मेरे पहले प्यार समझ नहीं आऊँगा ऐसा कभी
अपने हिसाब से आजमाया न कर
पढ़ लेता हूँ खामोशी भी तेरी
समझदार बनकर यूँ समझाया न कर
वैसे ही मदहोश हूँ तेरी आँखों के ज़ाम पीकर
जुल्फें खोलकर और तुम बहकाया न कर
कत्ल कर चुकी है कातिल अदाएँ तेरी
छुरी सी मुस्कान लिए करीब आया न कर
हम तो यूँ ही मर जाएँगे इशारा तो कर
गैर को देख ऐसे मुस्कुराया न कर
शायर RK…✍️
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©SHAYAR (RK)