ख्वाहिश
निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने,
मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने ।
किसी बदनसीब को , खुशनसीब बनाने ,
अंधेरे को उजाला दिखाने ।
किसी गुनेहगार को फरिश्ता बनाने
किसी जहन्नुम को जन्नती बनाने ।
किसी लैला को उसके मजनू से मिलाने ,
नफ़रत को मोहब्बत सिखाने ।
एक आस , एक ख्वाहिश , एक उम्मीद , एक जुस्तजू , वगेरह वगेरह ....
निकला था, कुछ नैकी करके ख़ुदको फिर से इंसा बनाने ।
निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने,
मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने ।
©Mansoor Dehlvi
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