ख्वाहिश निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने, म | हिंदी विचार

"ख्वाहिश निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने, मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने । किसी बदनसीब को , खुशनसीब बनाने , अंधेरे को उजाला दिखाने । किसी गुनेहगार को फरिश्ता बनाने किसी जहन्नुम को जन्नती बनाने । किसी लैला को उसके मजनू से मिलाने , नफ़रत को मोहब्बत सिखाने । एक आस , एक ख्वाहिश , एक उम्मीद , एक जुस्तजू , वगेरह वगेरह .... निकला था, कुछ नैकी करके ख़ुदको फिर से इंसा बनाने । निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने, मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने । ©Mansoor Dehlvi"

 ख्वाहिश 

निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने,
मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने ।

किसी बदनसीब को , खुशनसीब बनाने ,
अंधेरे को उजाला दिखाने ।

किसी गुनेहगार को फरिश्ता बनाने
किसी जहन्नुम को जन्नती बनाने ।

किसी लैला को उसके मजनू से मिलाने ,
नफ़रत को मोहब्बत सिखाने ।

एक आस , एक ख्वाहिश , एक उम्मीद , एक जुस्तजू ,  वगेरह वगेरह  ....
निकला था, कुछ नैकी करके ख़ुदको फिर से इंसा बनाने ।
निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने,
मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने ।

©Mansoor Dehlvi

ख्वाहिश निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने, मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने । किसी बदनसीब को , खुशनसीब बनाने , अंधेरे को उजाला दिखाने । किसी गुनेहगार को फरिश्ता बनाने किसी जहन्नुम को जन्नती बनाने । किसी लैला को उसके मजनू से मिलाने , नफ़रत को मोहब्बत सिखाने । एक आस , एक ख्वाहिश , एक उम्मीद , एक जुस्तजू , वगेरह वगेरह .... निकला था, कुछ नैकी करके ख़ुदको फिर से इंसा बनाने । निकला था , एक अनाज को भूक तक पहुंचाने, मुफलिसी को किसी एक साहिल पर छिपाने । ©Mansoor Dehlvi

#lostinthoughts #ख्वाहिश #ज़िन्दगी

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