मैंने अक्सर... ख़्यालों की दहलीज पर चांदनी निहारते | हिंदी शायरी Video

"मैंने अक्सर... ख़्यालों की दहलीज पर चांदनी निहारते काटी सारी रात... उलझते ज़हन के तनो-बानो को सुलझाते काटी सारी रात... जमाने भर की फ़िक्र और कशमकश में काटी सारी रात... मैंने... अक्सर जाग के काटी सारी रात... जिंदगी से खौफ और मौत के इंतजार में काटी सारी रात... मचलती सोच में, सुकून की कैफियत लिए काटी सारी रात... कभी अंदर, कभी बाहर, भटकते बावरे सी काटी सारी रात... मैंने... अक्सर जाग के काटी सारी रात.. ©Ramandeep Kaur "

मैंने अक्सर... ख़्यालों की दहलीज पर चांदनी निहारते काटी सारी रात... उलझते ज़हन के तनो-बानो को सुलझाते काटी सारी रात... जमाने भर की फ़िक्र और कशमकश में काटी सारी रात... मैंने... अक्सर जाग के काटी सारी रात... जिंदगी से खौफ और मौत के इंतजार में काटी सारी रात... मचलती सोच में, सुकून की कैफियत लिए काटी सारी रात... कभी अंदर, कभी बाहर, भटकते बावरे सी काटी सारी रात... मैंने... अक्सर जाग के काटी सारी रात.. ©Ramandeep Kaur

मैंने अक्सर...
ख़्यालों की दहलीज पर चांदनी निहारते काटी सारी रात...
उलझते ज़हन के तनो-बानो को सुलझाते काटी सारी रात...

जमाने भर की फ़िक्र और कशमकश में काटी सारी रात...
मैंने... अक्सर जाग के काटी सारी रात...

जिंदगी से खौफ और मौत के इंतजार में काटी सारी रात...

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