गिर रही है बूंदे बारिश की, शायद कोई याद किसी को कर | हिंदी Shayari

"गिर रही है बूंदे बारिश की, शायद कोई याद किसी को करता है। लब को बस वो सी कर, जज़्बात को ऐसे दिल में समेट लेता है। चुप रहता है वो अक्सर, न किसी से कुछ कहता है। आखिर खामोशी है ये कैसी, यह दिल खुद से दूर जो रहता है। ©Shubham36"

 गिर रही है बूंदे बारिश की,
शायद कोई याद किसी को करता है।
लब को बस वो सी कर,
जज़्बात को ऐसे दिल में समेट लेता है।
चुप रहता है वो अक्सर,
न किसी से कुछ कहता है।
आखिर खामोशी है ये कैसी,
यह दिल खुद से दूर जो रहता है।

©Shubham36

गिर रही है बूंदे बारिश की, शायद कोई याद किसी को करता है। लब को बस वो सी कर, जज़्बात को ऐसे दिल में समेट लेता है। चुप रहता है वो अक्सर, न किसी से कुछ कहता है। आखिर खामोशी है ये कैसी, यह दिल खुद से दूर जो रहता है। ©Shubham36

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