मैं कैसे उसको तकलीफ़ पहुँचा सकता हूँ,जिसे मैंने बड | हिंदी शायरी

"मैं कैसे उसको तकलीफ़ पहुँचा सकता हूँ,जिसे मैंने बड़ी ही मन्नतों से पाया है, मैं किस प्रकार से उसके बिना जी सकता हूँ , जिसका मैंने बहुत प्यार पाया है। मेरा कोई भी फैसला आजतक , बिल्कुल भी उसका दिल नहीं दुखा पाया है , मैंने उसका अनादर कभी नहीं किया, मैंने तो उसे प्यार करने के लिए पाया है। - देवेंद्र कुमार"

 मैं कैसे उसको तकलीफ़ पहुँचा सकता हूँ,जिसे मैंने बड़ी ही मन्नतों से पाया है, 

मैं किस प्रकार से उसके बिना जी सकता हूँ , जिसका मैंने बहुत प्यार पाया है।

मेरा कोई भी फैसला आजतक , बिल्कुल भी उसका दिल नहीं दुखा पाया है , 

मैंने उसका अनादर कभी नहीं किया, मैंने तो उसे प्यार करने के लिए पाया है।


- देवेंद्र कुमार

मैं कैसे उसको तकलीफ़ पहुँचा सकता हूँ,जिसे मैंने बड़ी ही मन्नतों से पाया है, मैं किस प्रकार से उसके बिना जी सकता हूँ , जिसका मैंने बहुत प्यार पाया है। मेरा कोई भी फैसला आजतक , बिल्कुल भी उसका दिल नहीं दुखा पाया है , मैंने उसका अनादर कभी नहीं किया, मैंने तो उसे प्यार करने के लिए पाया है। - देवेंद्र कुमार

# मैं कैसे उसे तकलीफ़ पहुँचा सकता हूँ

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