है क्या चीज ये मर्द?
वह मर्द किसी की डगमगाती जिंदगी का सहारा होता है,
परिवार की डूबती कश्ती का किनारा होता है,
यकीन मानो बहुत हिम्मत वाला है वो,
वही जाने कैसे उसकी बिखरती जिंदगी का गुजारा होता है,
किसी एक पापी के कारण सब की छवि गलत बताते हैं लोग,
कोई यह क्यों नहीं सोचता इन सब के कारण,
कैसा उसका खुद के प्रति नजारा होता है,
टूटता है, बिखरता है, फिर सिमट जाता है,
कभी कौनो में छुप छुप कर बे इंतेहा अपने आंसू बहाता है,
सिकंद नहीं लाता चेहरे पर वो भी बे सहारा होता है,
उसका मन जाने ईश्वर जाने कैसे उसको सब गवारा होता है,
लोग कहते हैं ये मर्द क्या चीज है?
मर्द किसी की डगमगाती जिंदगी का सहारा होता है,
परिवार की डूबती कश्ती का किनारा होता है।
©YASHI KUKRETI