नवरात्रि
दर्शन की उम्मीद लिए दरबार मैया के आए है,
अक्षत, फूल, सिंदूर लिए श्रृंगार की थाली लाए है,
बच्चे हम माता रानी के, मां से मिलने आएंगे,
हलवा पूरी, पंचामृत से मैया को भोग लगाएंगे।।
दीन दुखी हम भक्त तुम्हारे, अपनी विनती सुनाएंगे,
हवन, यज्ञ में आहूति देकर, आरती चालीसा गाएंगे,
बच्चे हम माता रानी के, मां को पीर सुनाएंगे,
ढोल तांसे, मंजीर बजाकर मैया की भक्ति गाएंगे।।
नवरात्रि है ये मैया रानी की, नवरातों को आई है,
दिवस प्रथम है शैलपुत्री की, दूजी ब्रह्मचारिणी,
तृतीय दिवस है चंद्रघंटा का, चौथा कुष्मांडा सिंहवाहिनी,
पांचवा दिन स्कंदमाता का, दिन छठवां मां कात्यायनी,
रात सप्तमी है कालरात्रि की, आठवां मात महागौरी,
दिवस नवमी मां नवदुर्गा की, महिषासुर मरदायिनी।।
दिवस नवमी मां के पंडाल में, महाभोग प्रसाद बनाएंगे,
महाआरती, महाश्रृंगार करके, फिर कन्या भोज खिलाएंगे
मैया के महाभोग परसाद का भंडारा बटवाएंगे,
दर्शन को पहुंचे भक्तों को, महाप्रसाद खिलाएंगे।।
दसवां दिवस है विजयदशवी का, मैया की झांकी सजाएंगे,
रावणवध उत्सव में हम, धर्मविजय की खुशियां मनाएंगे,
बैंड बाजा, संगीत बजाकर, झांकी की रैली निकालेंगे,
नम आंखें, जयकारे संग, मैया को विदा कर आयेंगे,
नम आंखे, जयकारे संग, मैया को विदा कर आयेंगे।।
बोलो माता रानी की जय।।
©Abhishek Gupta
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