White मृगतृष्णा की माया में,
मन तृषित भ्रमित सा भागे।
रेत के जल में डूबे प्यास,
सच का कोई निशान न पाए।
आस की इस अनंत डोर,
अधूरी चाहतें सुलगाए।
हर कदम पर छलावे हैं,
सपनों के साए गहराए।
प्यास भी बुझती नहीं,
और सच भी कभी हाथ न आए।
©Shayra
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