तुम बिन कैसे रहें"
जब से बने हो जान मेरी तुम, प्राण
पिया अब, बिछड़ के "तुम बिन कैसे रहें"।
आदत सी पड़ गई है तुम्हारी, सीने पर
सर रख कर सोने की, बात जिया की कैसे कहें।
दम घुटता है पड़े सेज पे,अंधियारी रातों
में, तुम ही बताओ ,बिछड़ के "तुम बिन कैसे रहें"।
©Anuj Ray
# तुम बिन कैसे रहें"