White तृप्ति की कलम से
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जाने वाला चला गया,क्यों बहते आँसू आँखों से
यादों में सब सिमट गया,क्यों झरते पत्ते शाखों से।
जाने क्या-क्या संग ले गया, जाने वाला क्या जाने
कभी हँसाये, कभी रुलाये , अपनी मीठी बातों से।
तेरी यादें, तेरी बातें, पल -पल याद दिलाती हैं
बोझ बढ़ा इन यादों का तो,दफनाया इन हाथों से।
जो होता अच्छा होता,बस मन को दिलासा देते हैं
मन ही जाने मन की पीड़ा, ना बिसराया यादों से।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी
©tripti agnihotri
तृप्ति की कलम से