किसी का कोई ख़याल पढ़ कर
मेरे दिल में ये ख़याल आया की .....
अक्सर लोग मजबूरी में रिश्ते तब निभाते हैं जब,
या तो वो सिर्फ़ दुनिया के सामने दिखाना चाहते हैं,
या फ़िर तब जब वो किसी पर dependant होते हैं।
और जो रिश्ते मजबूरी में निभाऍं जाते हैं वो रिश्ते होते ही नहीं
वो तो सिर्फ़ समझौते होते हैं,
क्यूॅंकि रिश्ते दिल से और ख़ुशी से निभाऍं जाते हैं,
मजबूरी से नहीं ।
और अगर कोई ऐसा इंसान हो आप की ज़िंदगी में
जिसके पास आप से समझौता करने की कोई वजह ही नहीं,
और जो किसी भी बात के लिए आप पर depend भी नहीं करता,
अगर तब भी वो इंसान आप से दिल से रिश्ता निभा रहा हो
या फ़िर रिश्ता निभाने की दिल से कोशिश ही कर रहा हो,
तो फ़िर क्या हम और आप इतने भी समझदार नहीं है कि
बस इतना ही समझ सके कि,
वो इंसान सिर्फ़ मजबूरी में हम से रिश्ता निभा रहा है
या फ़िर दिल से निभा रहा है??
©Sh@kila Niy@z
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