White उम्मीद के तूफान लेकर,
घर से निकलकर आया मैं।
चाहत के दीप जलाकर,
रौशन हो जलना चाहता मैं।
सरगोशी के नजदीक आकर,
मदहोशी में ढलना चाहता मैं।
रंजिशों की बंदिशें तोड़कर,
खुले आसमां को निहारना चाहता मैं।
अपने फिजूली ख्यालों को शब्दों में पिरोकर,
कोई कविता गढ़ना चाहता मैं।
इत्तेफाकन उसे मेरे करीब लाकर,
उस रकीब का इत्तेफ़ाक बनना चाहता मैं।
लेखक_बनारसी
©Banarasi..
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