कहा से लिखना शुरु करुँ वे अजीब से पल जिन्हें मैं य | हिंदी कविता

"कहा से लिखना शुरु करुँ वे अजीब से पल जिन्हें मैं याद‍ करुँ । अनोखा सा रिश्ता था वह अजिब सा प्यार था वह। साथ रहे अहसास नहीं दुर गये तो भुले नहीं । चेहरा हमेंशा वह याद आता है कमबख्त बहुत रुलाता है । खून का रिश्ता नहीं था न दोस्ती का नाता था । बहुत प्यार किया था तुमसे कभी कह पाये ना तुमसे । आज तुम मेरे साथ नहीं मैं तुम्हारे पास नहीं । फिर भी प्यार है कि कम होता नहीं क्या दोष दे इस कमबख्त दुनिया को दरिंदों कि कमी नहीं औलाद बङे बाप कि । हिम्मत तुम हार गयी अपने ही हाथों अपने को मार गयी । एक बार भी न सोचा तुने क्या गुज़रेगी मेरे दिल पर । मर मर के जी रहा हु बिन तेरे इस दुनिया मे । यमराज से छुट्टी मिले एक दफा लोट आना तुम अपना प्यारा सा मुखङा दिखाना तुम । ईश्वर से एक मुराद बाकि है गोविंद देख पाउ तुझे यह चाह बाकि है।"

 कहा से लिखना शुरु करुँ
वे अजीब से पल जिन्हें मैं याद‍ करुँ ।
अनोखा सा रिश्ता था वह
अजिब सा प्यार था वह।
साथ रहे अहसास नहीं
दुर गये तो भुले नहीं ।
चेहरा हमेंशा वह याद आता है
कमबख्त बहुत रुलाता है ।
खून का रिश्ता नहीं था
न दोस्ती का नाता था ।
बहुत प्यार किया था तुमसे
कभी कह पाये ना तुमसे ।
आज तुम मेरे साथ नहीं
मैं तुम्हारे पास नहीं ।
फिर भी प्यार है कि कम होता नहीं
क्या दोष दे इस कमबख्त दुनिया को
दरिंदों कि कमी नहीं औलाद बङे बाप कि ।
हिम्मत तुम हार गयी
अपने ही हाथों अपने को मार गयी ।
एक बार भी न सोचा तुने
क्या गुज़रेगी मेरे दिल पर ।
मर मर के जी रहा हु
बिन तेरे इस दुनिया मे ।
यमराज से छुट्टी मिले एक दफा लोट आना तुम
अपना प्यारा सा मुखङा दिखाना तुम ।
ईश्वर से एक मुराद बाकि है गोविंद
देख पाउ तुझे यह चाह बाकि है।

कहा से लिखना शुरु करुँ वे अजीब से पल जिन्हें मैं याद‍ करुँ । अनोखा सा रिश्ता था वह अजिब सा प्यार था वह। साथ रहे अहसास नहीं दुर गये तो भुले नहीं । चेहरा हमेंशा वह याद आता है कमबख्त बहुत रुलाता है । खून का रिश्ता नहीं था न दोस्ती का नाता था । बहुत प्यार किया था तुमसे कभी कह पाये ना तुमसे । आज तुम मेरे साथ नहीं मैं तुम्हारे पास नहीं । फिर भी प्यार है कि कम होता नहीं क्या दोष दे इस कमबख्त दुनिया को दरिंदों कि कमी नहीं औलाद बङे बाप कि । हिम्मत तुम हार गयी अपने ही हाथों अपने को मार गयी । एक बार भी न सोचा तुने क्या गुज़रेगी मेरे दिल पर । मर मर के जी रहा हु बिन तेरे इस दुनिया मे । यमराज से छुट्टी मिले एक दफा लोट आना तुम अपना प्यारा सा मुखङा दिखाना तुम । ईश्वर से एक मुराद बाकि है गोविंद देख पाउ तुझे यह चाह बाकि है।

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