बचपन और लोरी बचपन की एक तस्वीर को देख कर खयाल आया | हिंदी शायरी

"बचपन और लोरी बचपन की एक तस्वीर को देख कर खयाल आया की काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता बेफ़िक्र रहता, बेवजह रोता रहता माँ की गोद में कंधे पर रख सिर सोता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता सब प्यार करते, दुलार करते मुझे नफरत का पता ना होता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता सबके साथ खेलता, सबके दिल को बहलाता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता I ©warrior music"

 बचपन और लोरी बचपन की एक तस्वीर को देख कर खयाल आया की 
काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता 

बेफ़िक्र रहता, बेवजह रोता रहता 
माँ की गोद में कंधे पर रख सिर सोता 

काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता 

सब प्यार करते, दुलार करते मुझे 
नफरत का पता ना होता 

काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता 

सबके साथ खेलता, सबके दिल को बहलाता 

काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता I

©warrior music

बचपन और लोरी बचपन की एक तस्वीर को देख कर खयाल आया की काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता बेफ़िक्र रहता, बेवजह रोता रहता माँ की गोद में कंधे पर रख सिर सोता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता सब प्यार करते, दुलार करते मुझे नफरत का पता ना होता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता सबके साथ खेलता, सबके दिल को बहलाता काश मैं बच्चा ही रहता तो कितना अच्छा रहता I ©warrior music

#BachpanAurLori

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