मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! सभी धर | हिंदी Poetry

"मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! सभी धर्म का एक ही हाल हैं! यह आओ ऐसा करो वेसा करों, सभी की यही पुकार हैं! जरा सम्मान देदो तो सोच लेते हैं, लोग अपने धर्म से परेशान हैं! क्यों इतनी हाय तौबा हैं, क्यों इतनी असुरक्षा हैं! और क्यों कुछ समय बाद वही जकरण का एहसास है जो मेरे धर्म से बरकरार हैं ©नीर"

 मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! 
सभी धर्म का एक ही हाल हैं! 
यह आओ ऐसा करो वेसा करों, 
सभी की यही पुकार हैं! 
जरा सम्मान देदो तो सोच लेते हैं, 
लोग अपने धर्म से परेशान हैं! 
क्यों इतनी हाय तौबा हैं, 
क्यों इतनी असुरक्षा हैं! 
और क्यों कुछ समय बाद
वही जकरण का एहसास है
जो मेरे धर्म से बरकरार हैं

©नीर

मुझे तो किसी धर्म में कोई फर्क नहीं दिखता! सभी धर्म का एक ही हाल हैं! यह आओ ऐसा करो वेसा करों, सभी की यही पुकार हैं! जरा सम्मान देदो तो सोच लेते हैं, लोग अपने धर्म से परेशान हैं! क्यों इतनी हाय तौबा हैं, क्यों इतनी असुरक्षा हैं! और क्यों कुछ समय बाद वही जकरण का एहसास है जो मेरे धर्म से बरकरार हैं ©नीर

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