हवाओं से मेरा पता पूछती है मुसाफ़िर को राह ए वफ़ा | हिंदी Shayari

"हवाओं से मेरा पता पूछती है मुसाफ़िर को राह ए वफ़ा पूछती है हमीं छोड़ कर आ गए थे फ़िज़ा को यही बात बाद-ए-सबा पूछती है सफ़र ख़त्म करना मुनासिब नहीं था लहर हमसे इसकी वजा पूछती है ©सानू"

 हवाओं से मेरा पता पूछती है
मुसाफ़िर को राह ए वफ़ा पूछती है
हमीं छोड़ कर आ गए थे फ़िज़ा को
यही बात बाद-ए-सबा पूछती है
सफ़र ख़त्म करना मुनासिब नहीं था
लहर हमसे इसकी वजा पूछती है

©सानू

हवाओं से मेरा पता पूछती है मुसाफ़िर को राह ए वफ़ा पूछती है हमीं छोड़ कर आ गए थे फ़िज़ा को यही बात बाद-ए-सबा पूछती है सफ़र ख़त्म करना मुनासिब नहीं था लहर हमसे इसकी वजा पूछती है ©सानू

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