दीपक नीमा✍️ पहाड़ टूट नहीं रहे
शाबाशी दे रहे हैं
इंसान ने जो अपने सफर को
पहाड़ काटकर आसान किया है
उसके लिए...
नदियां उफान नहीं मार रही
बस एक बाढ़ का रूप ले लिया हैं
इंसान को वह सब कुछ लौटाने के लिए
घर तक आ रही है
जो इंसानों ने उसे दिया है...
बेजुबान पशु पक्षी ख़ुद के मन से
आपके शहर में नहीं आ रहे
आप ही उनके घर जंगल को शहर में
लाते जा रहे हैं.....
सूरज की गर्मी दिनों दिन
ऐसे ही थोड़ी बढ़ रही है
आप ही पेड़ काटकर
उसको रास्ता देते जा रहे हैं.....
प्रकृति अपने प्रलय का
शोर नहीं मचा रही
बस धीरे-धीरे आप को सूचित कर रही
प्रकृति के साथ खिलवाड़ मत करो
वरना आपकी सारी गलतियों का जवाब
प्रकृति एक बार में दे सकती है....
दीपक नीमा✍️🙂
#sorrow ध्यान रहे ....😊