मयंक चमके अम्बर तल पर
धरा पुलकित हो जाती है
प्रकृति भी हर्षित मन से
झूम गीत प्रीत के गाती है
कैसा अदभुत मिलन है
धरा और अम्बर का
कभी न एक हो पाते है
एक दूजे को देख दूर से
मन्द - मन्द मुस्काते है
भाव पवित्र रहे मन में सदा
जग को सन्देश सुनाते है।
©Seema Rani
#parent