आजादी थी नारों मे,
हम कुचले गए हज़ारो मे,
वो क्रांतिकारी जोश मे थे,
हर दर्द सहा पर होश मे थे,
वो इंकलाब की हवा चली,
हर चौक से लेकर गली गली,
राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह,
अपनी ही जिद के थे मुरीद,
मौत सभी को आती है पर,
लाखों मे थे बस तीन शहीद l
©Vivek Mishra
🙏
#shaheeddiwas