कुछ यादें सिरहाने सरक रही है
तहाकर रखी हुई थी जो
उन्हें उधेड़ रही है
बिखरीं हुई थी जो फर्शों पर
उन्हें पंखों से झला रही है
कुछ यादें ........
जमी हुई थी जो जंगलो पर
वो धीरे धीरे से किवाड़ खटखटा रही है
जो फिसल रही थी मेरे दामन से
वो मुठियों में घर बना बना रही है
कुछ यादें......
#nojoto #nojothindi #nojotoapp #kavishala