उस रब से मांगा है तुम्हें, फुर्सत से तुम्हें बनाया है,
मेंने सदियों से बस तुमको ही चाहा है |
ढूंढता रहा मैं तुम्हें बहते शीतल नीर में,
ढूंढता रहा मैं तुम्हें लहराते समीर में
ओस की ठंडी बूँदों में, मेंने तुमको पाया है
उस रब से.................. .चाहा है|
कभी पुकारा मैंने तुमको, फूलों से सज़े उपवन में
बाट देखता रहा तुम्हारा, निसदिन घर के आँगन में
गुलाब की पंखुड़ियों ने सुंदर तुम्हें सजाया है
उस रब से.................... चाहा है |
#मैंने सदियों से बस तुमको ही चाहा है.....