काश मिलता मुझे इक ऐसा हमनवा,
जो बन जाता सफ़र में मौन रहनुमा,
ग़जल बनाकर गाता मुझे,
करता न मेरी उड़ान से कोई शिकवा...
©Rachana Vyas
#UskeSaath कितने शौक से बुलाया तूने अपने शहर,
आये यहाँ तो न मिली तेरी कोई ख़बर,
मिलते हैं यहाँ लोग कई नये-पुराने,
बस इक तू ही आता नहीं कहीं नजर...