ऊंच नीच गो भेदभाव राखा कोनी।। सगलो को देसा साथ। जे | हिंदी शायरी

"ऊंच नीच गो भेदभाव राखा कोनी।। सगलो को देसा साथ। जे जरूरत पड़सी किसी के।तो उबा हो ज्यासा भले ही हुवे आधी रात ©Dharmendra Chharang"

 ऊंच नीच गो भेदभाव राखा कोनी।। सगलो को देसा साथ। जे जरूरत पड़सी किसी के।तो उबा हो ज्यासा भले ही हुवे आधी रात

©Dharmendra Chharang

ऊंच नीच गो भेदभाव राखा कोनी।। सगलो को देसा साथ। जे जरूरत पड़सी किसी के।तो उबा हो ज्यासा भले ही हुवे आधी रात ©Dharmendra Chharang

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