आज फिर बरसात हुई तबियत मेरी भी नसार हुई एक पल में उसकी सारी गलती दिल के पार हुई।
वो हसी वो खुशी वो लड़ना वो मानना सब याद आया।
लगता है मेरे सफर का आज कुछ अंत आया।
वो लहर भी खामोश हो गई जो सौर बहुत करती थी।
मेरे जाने का लगता है गम उसको भी है।
आज फिर बरसात हुई जैसे उसकी याद बहुत के साथ हुई
©AMIT BHATT
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