रोज कुछ नया सीखता हूं फिर भी, बहुत सीखना बाकी है | हिंदी शायरी

"रोज कुछ नया सीखता हूं फिर भी, बहुत सीखना बाकी है अभी । हारे तो है तेरे इश्क में हजारों बार , लेकिन तेरे दिल को जितना बाकी है अभी । तेरे लिए मैंने तो कई बार तकिया भिगोया है, मेरे लिए भी किसी का तकिया भीगना बाकी है अभी, मेरा दिल तो टूट गया है किसी के लिए , मेरे लिए किसी का दिल टूटना बाकी है अभी । ©विपिन"

 रोज कुछ नया सीखता हूं फिर भी,
 बहुत सीखना बाकी है अभी ।

हारे तो है तेरे इश्क में हजारों बार ,
लेकिन तेरे दिल को जितना बाकी है अभी ।

तेरे लिए मैंने तो कई बार तकिया भिगोया है,
मेरे लिए भी किसी का तकिया भीगना बाकी है अभी,

मेरा दिल तो टूट गया है किसी के लिए ,
मेरे लिए किसी का दिल टूटना बाकी है अभी ।

 ©विपिन

रोज कुछ नया सीखता हूं फिर भी, बहुत सीखना बाकी है अभी । हारे तो है तेरे इश्क में हजारों बार , लेकिन तेरे दिल को जितना बाकी है अभी । तेरे लिए मैंने तो कई बार तकिया भिगोया है, मेरे लिए भी किसी का तकिया भीगना बाकी है अभी, मेरा दिल तो टूट गया है किसी के लिए , मेरे लिए किसी का दिल टूटना बाकी है अभी । ©विपिन

Suman Zaniyan @Pranshi Singh @silent_soul_ @Ritika Gupta Soumya Jain

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