भटकता मुसाफिर मैं किधर जाऊंगा, जो तू सुकून बन आए, | हिंदी शायरी

"भटकता मुसाफिर मैं किधर जाऊंगा, जो तू सुकून बन आए, लग के गले मैं यही रह जाऊंगा!! तेरा नही हूँ, जनता हू, जो तू कहे तो तेरा बन के तुझ मे ही रह जाऊंगा!! ©Ravi Aahaan"

 भटकता मुसाफिर मैं किधर जाऊंगा,
जो तू  सुकून बन आए,
लग के गले मैं यही रह जाऊंगा!!

तेरा नही हूँ, जनता हू,
जो तू कहे तो तेरा बन के 
तुझ मे ही रह जाऊंगा!!

©Ravi Aahaan

भटकता मुसाफिर मैं किधर जाऊंगा, जो तू सुकून बन आए, लग के गले मैं यही रह जाऊंगा!! तेरा नही हूँ, जनता हू, जो तू कहे तो तेरा बन के तुझ मे ही रह जाऊंगा!! ©Ravi Aahaan

#सुकून

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