दफ्तरों में दर्द के शिकवे गिले होते नहीं, मेज पर | हिंदी विचार
"दफ्तरों में दर्द के शिकवे गिले होते नहीं,
मेज पर बैठ आंसुओं के फैसले होते नहीं,
फाइलों में धड़कनों को बंद मत करिए कभी,
कागजों पर जिंदगी की फैसले होते नहीं
आशुतोष द्विवेदी"
दफ्तरों में दर्द के शिकवे गिले होते नहीं,
मेज पर बैठ आंसुओं के फैसले होते नहीं,
फाइलों में धड़कनों को बंद मत करिए कभी,
कागजों पर जिंदगी की फैसले होते नहीं
आशुतोष द्विवेदी