उस दिन से मुझे नीद से भी वहशत हो गयी जब ख्याब़ ,म | हिंदी शायरी

"उस दिन से मुझे नीद से भी वहशत हो गयी जब ख्याब़ ,मे मिलने तुम आये ओर मै जागने पर तन्हा निकला sum!t"

 उस दिन से मुझे नीद से भी वहशत हो गयी 
जब ख्याब़ ,मे मिलने  तुम आये 
ओर मै जागने पर तन्हा निकला 

sum!t

उस दिन से मुझे नीद से भी वहशत हो गयी जब ख्याब़ ,मे मिलने तुम आये ओर मै जागने पर तन्हा निकला sum!t

tjurba btta rha hu

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