अच्छा लगता है कभी अकेले ही बैठ जाना,
उस अकेलेपन में खुद को खुद से रूबरू कराना,
माना ये अकेलापन थोड़ा मुश्किल जरूर लगता है,
पर अच्छा है ना दूसरों की जगह खुद की तकलीफ खुद को ही बताना।
हां माना सफर में साथ जरूर चाहिए,
पर इतना आसान नहीं इस फ़रेब भरी दुनिया में किसी को हमसफर बनाना ,
हाँ मुमकिन हैं इस भीड़ से कई दूर कही अकेलेपन में ढल जाना।।
वास्तविकता से कोशो दूर कल्पनाओं में एक आशियाना ,
अपने दफ़न जज्बातों को जहां खुद से कह
जाना ,
एक दफा इस सुकून भरी खूबसूरती में जियो तो सही,
यूं मानो तो बेहद खूबसूरत है खुद का साथ निभाना।।
©komal Joshi
loneliness