जब जब .. शब्दों को अधरों पर रख कर मन का भेद | हिंदी Poetry

"जब जब .. शब्दों को अधरों पर रख कर मन का भेद न खोलो, मैं आंखों से सुन सकता हूं तुम आंखों से बोलो.... कि जब जब, हृदय मथा हैं मैंने तब तब अधर लगे कुछ कहने... और जब जब अधर सीए है मैंने तब तब नयन लगे है बहनें, मत बहनें दो नयन को.... आंसू है श्रृंगार हृदय का, हृदय में रहने दो ।। . ©Pandey G"

 जब जब ..
       शब्दों को अधरों पर रख कर
मन का भेद न खोलो,
       मैं आंखों से सुन सकता हूं 
तुम आंखों से बोलो....
कि जब जब,
        हृदय मथा हैं मैंने 
तब तब अधर लगे कुछ कहने...
       और जब जब अधर सीए है मैंने 
तब तब नयन लगे है बहनें,
        मत बहनें दो नयन को....
आंसू है श्रृंगार हृदय का,
        हृदय में रहने दो ।।




.

©Pandey G

जब जब .. शब्दों को अधरों पर रख कर मन का भेद न खोलो, मैं आंखों से सुन सकता हूं तुम आंखों से बोलो.... कि जब जब, हृदय मथा हैं मैंने तब तब अधर लगे कुछ कहने... और जब जब अधर सीए है मैंने तब तब नयन लगे है बहनें, मत बहनें दो नयन को.... आंसू है श्रृंगार हृदय का, हृदय में रहने दो ।। . ©Pandey G

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