सारी उम्र तेरे इंतजार में गुजार दी हर उम्र तेरे प् | हिंदी कविता

"सारी उम्र तेरे इंतजार में गुजार दी हर उम्र तेरे प्यार में गुजार दे दिल को कैसे समझाए तू किसी और की चाहत है आज भी अकेला बैठा है तेरे इंतजार में ©Shivanand Maddhisya"

 सारी उम्र तेरे इंतजार में गुजार दी हर उम्र तेरे प्यार में गुजार दे दिल को कैसे समझाए तू किसी और की चाहत है आज भी अकेला बैठा है तेरे इंतजार में

©Shivanand Maddhisya

सारी उम्र तेरे इंतजार में गुजार दी हर उम्र तेरे प्यार में गुजार दे दिल को कैसे समझाए तू किसी और की चाहत है आज भी अकेला बैठा है तेरे इंतजार में ©Shivanand Maddhisya

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