मछलियाँ तालाब के बाहर आकर धूप नहीं सेंक सकती स्त् | हिंदी कविता

"मछलियाँ तालाब के बाहर आकर धूप नहीं सेंक सकती स्त्रियाँ मंगलसूत्र से गला फाँदकर आत्महत्या नहीं कर सकती तुम घर से निकल नहीं सकती मैं तुम्हारा चबूतरा चढ़ नहीं सकता ऐसी कितनी रेखाएँ हैं जिन्हें पार करने पर या तो युद्ध होगा या मौत आएगी .... . . . ©D G"

 मछलियाँ तालाब के बाहर
आकर धूप नहीं सेंक सकती

स्त्रियाँ मंगलसूत्र से गला फाँदकर
आत्महत्या नहीं कर सकती

तुम घर से निकल नहीं सकती
मैं तुम्हारा चबूतरा चढ़ नहीं सकता

ऐसी कितनी रेखाएँ हैं
जिन्हें पार करने पर

या तो
युद्ध होगा
या मौत आएगी
....
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©D G

मछलियाँ तालाब के बाहर आकर धूप नहीं सेंक सकती स्त्रियाँ मंगलसूत्र से गला फाँदकर आत्महत्या नहीं कर सकती तुम घर से निकल नहीं सकती मैं तुम्हारा चबूतरा चढ़ नहीं सकता ऐसी कितनी रेखाएँ हैं जिन्हें पार करने पर या तो युद्ध होगा या मौत आएगी .... . . . ©D G

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