इबादत करो परवानों इनायत होगी,
शम्मा गर भुझ जाए ,तो कयामत होगी।
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सामने खड़े है वो,बस देखने की बात है,
हम बफा करे की ना,ये सोचने को बात है।
महफ़िल में आ गए,वो साकी,
देख ना इस कदर,
मय से भरी है बोतल,आज पिलाने की रात है।
शम्मा जलती है परवानों,
बस जलने की देर है,
वो खुद जले,या जलाए,
ये और बात है।
इंतज़ार है, कजा का अब,
हमको ए जिंदगी,
दामन छोड़ न देना कहीं,
कि आज उनका साथ है।
।।शुक्रिया।।
***बीना***
(08/12/2020)
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